Reality Of Exit Polls In India /भारत में एग्ज़िट पोल की हकीकतl

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आप लोग एक चीज नोटिस की होगी भले ही एक नेता इलेक्शन के टाइम में वह हार रही होती फिर भी वह आखरी दम तक कहते हैं कि भारी मतों से जीत कर मैं सरकार बन रहा हूं

वे सारे एग्जिट पोल के दम पर फुदक रहे होते और पब्लिक को गुमराह कर एग्जिट पोल के दम पर हारे हुए नेता फिर से जीतने की कोशिश करते हैं

एग्जिट पोल का रूल और रेगुलेशन क्या है एग्जिट पोल के पीछे एक्चुअल लॉजिक क्या होता है और जो एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल कैलकुलेट कैसे किया जाता है नेता लोग अपने भाषणों में एग्जिट पोल और सर्वे का यूज किस तरीके से करती है और polls का रिजल्ट आते ही पब्लिक में घमासान मच जाती है एग्जिट पोल का सर्वे और डाटा जितना सैंपल लगता है वह उतना होता ही नहीं क्योंकि इसके पीछे बहुत बड़े गेम चलते हैं

Reality Of Exit Poll:-Exit Poll का Result Elections मैं काफी अलग निकले लेकिन जो वर्ल्ड इकोनामी फॉर्म प्रिडिक्ट किया है इसकी वजह से ऑलमोस्ट 80 मिलियन से भी ज्यादा AI की वजह से अपने जब से हाथ धोना पर रहा है और AI ने एग्जिट पोल का रिजल्ट बहुत ही स्मार्ट और सरल तरीके से और बहुत ही सटीक तरीके से एग्जिट पोल का रिजल्ट निकाल देता है

जब भी इलेक्शन होता था सारी voter में से सिर्फ 35 वॉटर ऐसी होती है जिनका पहले से ही डिसाइड होता है कि वह किसी पॉलिटिकल पार्टी को वोट करेगा बाकी 65%Voter ऐसे होती है

वह इलेक्शन के कुछ घंटे पहले ही डिसाइड करता है कि उनको किस पार्टी को वोट करना है इनमें से भी 45% वाटर होता है कि जिन पार्टी का ज्यादा चर्चा होता है और जो जितना हवा बाजी करता है वे लोग उन्हीं को वोट करता है बड़े-बड़े बिजनेसमैन भी उन्हें पार्टी को टारगेट करता है जो जितने का संभावना ज्यादा रहता है और जो हवा बाजी में ज्यादा चलता है उन्हें पार्टी को ज्यादा फंड मिलता है

जब इलेक्शन का टाइम आता है तो हर एक पॉलीटिकल पार्टी अपना स्ट्रेटजी बनाकर सर्वे पोल्स टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हैं ताकि उन पार्टी को एडवांटेज मिल सके और इन सारी चीजों में से सर्वे एग्जिट पोल ओपिनियन पोल इन सब भी बहुत ही इंपॉर्टेंट होता है 65% वोटरों को इलेक्शन के टाइम में कंफ्यूज करने के लिए कोई भी पार्टी नहीं चाहता कि हम हरे हर एक पार्टी चाहता है हम जीते कोई पार्टी 295 सीटों का नारा लगाता है कोई पार्टी 405 सीटों का नारा लगाता है कोई पार्टी कुछ कोई पार्टी कुछ भारत के अंदर हमेशा से यह जो सर्वे और एग्जिट पोल इतना इंपोर्टेंट है पहले नहीं था पहले जो इलेक्शन होता था जिसको जो पार्टी पसंद आती थी वह इस पार्टी को वोट करते थे या वोट डालकर आ जाते थे

साल 1936 में Gall up Poll ने अपने मेथड का यूज करके यह प्रिडिक्ट किया कि Election में लोग फ्रैंकलिन d रोजवार्ड को लोग इन्हे ज्यादा पसंद कर रहे हैं और वही वहां के प्रेसिडेंट बने और ना इसके बाद जो रिजल्ट सामने आए और यह बात सच हो गया यही से स्टार्ट हुआ Gall Up Poll और फिर धीरे-धीरे करके बाकी सब कंट्री में जो इलेक्शन होते थे इसके अलग-अलग तरीके के मेथड को उसे करके सर्वे और ओपिनियन पोल होने लगे

सबसे ज्यादा एडवांस करके सबसे ज्यादा polls किया वे UK ने किया और ऐसे करके जब इलेक्शन फेमस हो गया तब साल 1979 मैं भारत में भी इसकी एंट्री हुई

Exit Poll &Opinion poll:-

Election होने के बाद जब वोट देकर आता है तब वाटर से पूछते हैं कि वह किसके सपोर्ट में है या फिर लेकिन मुद्दों पर वोट कर रहा है यह सब मुद्दे के बाद 1980 में एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल भारत के अंदर एंट्री मारता है और लोग जब एग्जिट पोल का आगरा देखते थे तो लोग इसे सीरियसली भी लेने लगे थे और सबसे ज्यादा एग्जिट पोल का हल्ला जो हुआ था वह हुआ था साल 1984 में जब उनकी प्रेडिक्शन एकदम एक्यूरेट हुआ था 19 दिसंबर साल 1984 में 515 सीटों में से 400 सीट है जीतकर कांग्रेस ने इतिहास रच दिया था एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल चलने वाले की ओर उनका सर्वे करने वाले की डिमांड भी बहुत ज्यादा बढ़ गई भारत के अंदर एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल के जो कंपनी है वह भी अपने आप को एडवांस से करने लगे और जो भारत के अंदर जितने भी पॉलीटिकल पार्टी वे खुद की अलग सेएडवांस पोलिंग एजेंसी के पोलिंग करना शुरू कर दिया ताकि पार्टी को पता चल सके कि वह कहां हर रहे हैं कहां पर जीत रहे हैं कौन सी कास्ट उनको पसंद कर रही है और कौन सी कास्ट उनको पसंद नहीं कर रही है यह सब सर्वे करने के बाद हर एक पॉलीटिकल पार्टी अपना स्ट्रेटजी बनाते थे और फिर से उसे अप्लाई करते थे उसके बाद चेक करके देखते थे कि उनका स्ट्रेटजी सही से कम कर रहा है या नहीं

बड़े-बड़े कंपनी सर्वे करके यह पता करता था कि लोग किस योजना या लोग किस मुद्दे पर वोट दे रही है जब इन्हें सर्वे किया तो इस रिपोर्ट में आया कि लोग प्रधानमंत्री उज्जवल योजना के तहत जो फ्री में एलपीजी कनेक्शन दे दिए जा रहे थे यह बहुत ही पसंद करते हैं इस सर्वे को लेकर हर एक पार्टी हर एक नेता एलपीजी सिलेंडर की बात करते थे और कहते थे भाषण में हम पाइपलाइन डाल रहे हैं जिसमें एलपीजी गैस आएगा और इलेक्शन के टाइम में नेता लोग भाषण में कुछ हवा में नहीं बोलते हर एक चीज जो कैलकुलेट करके उत्तर से कनेक्शन होता है और जो नेता लोग भाषण में मिस इनफॉरमेशन फैलाया जाता है वह भी इन्हीं डाटा के ऊपर बेस्ट होता है और जानबूझकर फैलाया जाता है पोलिंग एजेंसी टेक्नोलॉजी के मेथड यूज करके नेता लोग आपके बारे में आपसे बेहतर जानते हैं और आपसे ज्यादा पता होता है जब भी नेता लोग भाषण करते हैं वह पहले साइड कर लेते हैं कि किस कास्ट में क्या बोलना है यह सारी चीज डाटा और सर्वे से निकलकर नेता लोग आप लोगों के सामने परोस देता है आप लोगों को लगने लगता है कि आप लोग अपनी मर्जी से वोट डाल रहे हैं लेकिन एक्चुअल में एक प्लान से सिलेक्टिव तरीके से आपसे Vote डलवाया जाता है

साल 1996 में हुंग पार्लियामेंट वाला इंसिडेंट हुआ था तो फिर इसी पार्टी सेकुलर डिसाइड के बाद एंट्री होता है इलेक्शन कमिशन की इलेक्शन कमीशन के पास एक पावर होता है कॉन्स्टिट्यूशन के आर्टिकल 324 के तहत इलेक्शन को सही से कुछ रूल्स इशू कर सकते हैं यह जो हुंग पार्लियामेंट वाला इशु हुआ था कुछ साल बाद साल 1998 में इलेक्शन होना था हिमाचल परदेस,गुजरात, त्रिपुरा और मेघालय में इन इलेक्शन को सही से करवाने के लिए इलेक्शन कमिशन ने कांस्टीट्यूशन आर्टिकल 324 के तहत गाइडलाइंस यीशु की जिसमें प्रेइ इलेक्शन न्यूज़ चैनल ब्रॉडकास्ट नहीं कर सकते इस चीज से न्यूज़ मीडिया को बहुत ज्यादा नुकसान देखने को मिला लेकिन इसके बाद साल 1999 में लोकसभा का इलेक्शन होना था इस बार इलेक्शन में से गाइडलाइंस इशू करी क्योंकि इलेक्शन के टाइम में प्रि इलेक्शन पोल जो मीडिया इलेक्शन के टाइम में ब्रॉडकास्ट नहीं कर सकते क्योंकि इससे आम जनता बहुत ज्यादा इनफ्लुएंस हो जाता है

ओपनिंग poll और Exit Poll के कुछ रूल्स:- आए हुए ही कोई भी कंपनी उठाकर सर्वे करने लगती है जो कि अब से नहीं होगा जो कंपनी इस रूल को फॉलो करेगा वही प्रि इलेक्शन पोल करवा सकती है पहले कंपनी को इलेक्शन कमीशन से अपना रजिस्ट्रेशन करवाना होगा उसके बाद फिर इलेक्शन कमीशन उस एजेंसी कंपनी का पुराना रिकॉर्ड चेक करेगा पोलिंग एजेंसी किस मेथड से पोलिंग करवा रही है क्या मेथड और क्या टेकन है और कैसे उसे यूज कर रही है वह सब पोलिंग एजेंसी को सबमिट करनी होगी इलेक्शन कमीशन को इन सब अप्रूवल के बाद फिर से एजेंसी अप्रूवल होगा प्रि इलेक्शन सर्वे करने के लिए
RULE FOR POLL”
Opinion poll और Exit Poll के लिए अलग-अलग Rule होगा:- ओपिनियन पोल के लिए कहा गया है कि इलेक्शन जिस दिन होना है उसी दिन 48 अवर पहले तक ही आप अपनी ओपिनियन पोल के रिजल्ट को आप लोग ब्रॉडकास्ट कर सकते हैं उसके बाद जब तक इलेक्शन आखिरी फेस तक खत्म ना हो जाता तब तक आप लोग न्यूज़ चैनल न्यूज़ पेपर में बोर्ड कास्ट नहीं कर सकते उसे पब्लिक इनफ्लुएंस हो जाता है
eg:- 48hour Silence period/Election

Silence

एग्जिट पोल का रूल सबसे अलग बनाए गए क्योंकि सबसे ज्यादा वाटर इनफ्लुएंस होता था जो एग्जिट पोल होता है वह voter जैसे वोट देखकर आए और जब तक आखिरी वोट ना पड़ जाए उसके 30 मिनट बाद ही कोई मीडिया हाउस उसे वोट कास्ट कर सकते हैं अगर इलेक्शन होने से पहले सोशल मीडिया न्यूज़ टीवी या किसी भी तरह से एग्जिट पोल का रिजल्ट पब्लिश करवाता है तो वह एक तरह से बहुत बड़ा क्रीम है
आज के टाइम में इलेक्शन के डेट में एग्जिट पोल का जो रिजल्ट होता है भले ही वह आम जनता के लिए बाहर ना आए लेकिन वह एक पार्टिकुलर टाइम पर ही बाहर आ जाता है लेकिन हर एक पार्टी को पता होता है कि उनकी पार्टी का क्या सिचुएशन है क्या उनके पार्टी हार रहे हैं या जीत रहे हैं वे सब पार्टी को पता रहता है उनके पास बहुत ही

स्ट्रांग मेकैनिज्म होता है इन सभी पोलिंग एजेंसी से डाटा लेकर नेता लोग खरीद लेता है उसके बाद अपना भाषण में प्रयोग करता है क्योंकि नेता लोग जानता है कि कहां पर कौन सा भाषा यूज करना है और क्या बोलना है अगर आप लोग अपनी नजरिया से देखोगे तो कौन सी पार्टी हार रही है और कौन सी पार्टी जीत रही है इससे आप लोगों को आईडिया लग जाएगा

जीतने का एक्टिंग हर एक पार्टी अपने-अपने फेस में करता है लेकिन जिसकी रिपोर्ट पहले के फेस में अच्छी आई होती है वह बहुत ही सोच सब समझ कर कैंपियनकरता है अगर एग्जिट पोल का रिजल्ट का जो मैनिपुलेशन होता है उसका सबसे ज्यादा नुकसान लाखों करोड़ों आम जनता का होता है

क्योंकि:- एक नई ट्रेंड चल गई इन पोल्स के चक्कर में लोग शेयर मार्केट में पैसा लगा देते हैं इन मेनू प्लेट एग्जिट पोल और सोशल मीडिया के फेक नॉरेटिव की वजह से न जाने कितने लोगों के घर बर्बाद हुए हैं शेयर मार्केट में पैसा लगा कर क्योंकि इन्वेस्टर अच्छी तरीके से जानता है कि अगर सरकार दोबारा फिर से रिपीट होगा तो हमें मुनाफा होगा क्योंकि इन्वेस्टर जो होता है वह बड़े-बड़े पैसा वाले होता है क्योंकि शेयर मार्केट मैं Fii और Dii जैसे इन्वेस्टर चलते हैं इनको अच्छी तरीके से मालूम होता है की मार्केट किस डायरेक्शन में जाएगा
क्योंकि fii और dii share market को जिधर चाहे उधर घूम सकती है कभी-कभी ऐसा होता है जो एग्जिट पोल का रिजल्ट सामने आती है तो कई लोग लिस्ट बनाकर शेयर करने लगती है कि इन कंपनी में पैसा लगाओ आप लोगों को 99% फायदा ही होगी इनकी चक्कर में आकर लोग अपना सारा पैसा डूबा देते हैं इस बार के इलेक्शन में वही हुआ जब 1 तारीख को एग्जिट पोल का रिजल्ट सामने आया तो शेयर मार्केट जमके बहुत तेजी से आगे ऊपर निकल गया जब असलियत में रिजल्ट सामने आई तो मार्केट का एकदम पैनिक मूड स्टार्ट हो गया पहले जो share खरीदने का शोर मच रही थी अब वही share बेचने का शोर मच रही है जिसकी वजह से इन्वेस्टर लोग को लगभग 26 लाख करोड़ का नुकसान हुआ इन सभी चीजों को देखकर कुछ नेताओं ने इस बार भी सेबी(Sebi) को एक लेटर लिखा कि आप एक बार इंक्वारी बैठाओ ऐसी कौन सी लोग है जो एग्जिट पोल आने से पहले बलग में पैसा लगा देता है और एग्जिट पोल के टाइम पर मोटा मुनाफा कमा के निकल जाता है क्योंकि मार्केट में बहुत सी ऐसे लोग है जो मार्केट को मैंनflout कर सके क्योंकि कुछ टाइम तक मार्केट को फेक एग्जिट पोल दिखाकर मार्केट में मोटर रकम लगा देता है  जैसे ही एग्जिट पोल का पर्दा फास्ट होता है मार्केट धर्म से नीचे गिर जाता है
जिससे आम जनता को भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है|

जब 2011 में पापुलेशन सर्वे हुआ था उनमें 2200 करोड़ रूपया लगे थे अगर कोई भी एजेंसी सर्वे करती है इलेक्शन को लेकर या किसी और चीज को लेकर ना उनके पास एम्पलाई होता है ना इतना पैसा होता है तो इस चीज को निपटने के लिए टेक्निकल मेथड का प्रयोग करता है इसमें इन लोगों को पैसा और टाइम दोनों चीज बचा लेता है ismein se Bheed Mein Se Kuchh logon ka simple size Lekar batata hai ki kya result Aane Wala Hai Ab yah Jo idea hai ine polling agency ने बाहर की कंट्री से हो बहू कॉपी कर लेता है लेकिन इंडिया के अंदर उतना प्रैक्टिकल नहीं कर सका क्योंकि अदर कंट्री में दो ही पार्टी होते हैं लेकिन इंडिया के अंदर मल्टीप्ल पार्टी होते हैं
इंडिया में हर थोड़ी देर में लैंग्वेज कास्ट कलचर हर एक चीज चेंज होता है इंडिया में कई लोग कैसे होते हैं जो सर्वे कर लेते देख लेते हैं लेकिन वोट देने ही नहीं जाते तो यही रीजन है की अलग-अलग एक्सपोर्ट जो है वह इंडिया के अंदर इस एग्जिट पोल के जो रिजल्ट है उसको सही नहीं मानते इंडिया के अंदर जहां पर अलग-अलग पॉलीटिकल पार्टी है वहां का लैंग्वेज लोग रीजन है वहां पर थोड़ा सा सैंपल लेकर और कुछ डाटा पॉइंट को प्रिडिक्ट करना किसी भी रिजल्ट को प्रैक्टिकल पॉसिबल नहीं है

पहले रीजन:- पॉलीटिकल पार्टी जो सर्व करती है उसमें पैसा बहुत लगता है क्योंकि इनके लिए सर्वे बहुत इंपैक्ट इंपॉर्टेंट होते हैं
दूसरी रीजन:- अगर कोई एजेंसी गलत सर्वे भूल कर भी से निकल भी जाता है तो पॉलीटिकल पार्टी उसे दोबारा कोई काम ही नहीं देता फिर दूसरा नया आ जाता हैवही मीडिया कंपनी की बात करें:- तो चाहे ओपिनियन पोल सही हो या गलत हो दिखाने के पीटीआरपी मिलती है तो जो मीडिया कंपनी है उसका भले ही काम गलत क्यों ना हो जाए उनको काम फिर से मिल ही जाती है
इंडिया में लोकसभा की सिम 543 है जिसके अंदर करीब विधानसभा में 4000 जिसमें करीब 10 लाख बुथ आते हैं बड़े-बड़े एजेंसी जिसका data स्ट्रांग होता है वे सर्वे करके अलग-अलग एजेंसी मीडिया और पॉलीटिकल पार्टी को भेज देता है क्योंकि तभी वह अपना प्रॉफिट जो है उसको मेंटेन कर पाते हैं

मेरा कहने का मतलब यह है कि आपके पास कोई ऐसा रिपोर्ट आएगी जोएग्जिट पोलके रिजल्ट है लेकिन उसको आगे बिल्कुल भी मत भेजिए यह बहुत बड़ा कढ़ाई में है और बीच इलेक्शन में कोई बताता है कि एग्जिट पोल के रिजल्ट हमें पता है हमारी इतना सीट आ रही है सर्वे की बात तो आप लोग सीधा इलेक्शन कमीशन को रिपोर्ट करोगे और भूल से भी अपना पैसा शेयर मार्केट में इन्वेस्ट मत करिएगा अगर आप लोगों को ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल देखना भी है तो अपना इंटरेस्ट के लिए जो की अपना सर्वे मेथड सिंपल सिलेक्शन टेक्निक और सिंपल साइज जो क्वेश्चन पूछे हैं वह सारी चीज शेयर करके रखती हो उसी का देखना
उसका कभी मत देखना जो अपना रो डाटा नहीं शेयर कर रहा है उसको आप के मन को चलाना है वे आपलोगों को बेवकूफी बना रहे है वे आपका इमोशन और Time दोनों चीज बर्बाद कर रहा है|
“जय हिंद जय भारत”

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